होली की बहार

Posted: March 6, 2023 in Uncategorized

हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार।
जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।।

एक तरफ से रंग पड़ता, इक तरफ उड़ता गुलाल।
जिन्दगी की लज्जतें लाती हैं, होली की बहार।।

जाफरानी सजके चीरा आ मेरे शाकी शिताब।
मुझको तुम बिन यार तरसाती है होली की बहार।।

तू बगल में हो जो प्यारे, रंग में भीगा हुआ।
तब तो मुझको यार खुश आती है होली की बहार।।

और हो जो दूर या कुछ खफा हो हमसे मियां।
तो काफिर हो जिसे भाती है होली की बहार।।

नौ बहारों से तू होली खेलले इस दम नजीर।
फिर बरस दिन के उपर है होली की बहार।।

नज़ीर अकबराबादी

वो दौर कभी और था वो दौर कभी आयेगा जुरुर जब होली हमारी और ईद हमारी थी और हम इनके इंतज़ार में वसंत के पत्ते गिना करते थे। इस कानाफूसी में लो आ गयी नाज़िर की आहट जो किवाड़ें खटखटा रहा है और तारीखों में आवाज़  दे रहा है तारीखों में…. आवाज़ ss … होली मुबारक़ हो नज़ीर होली मुबारक हो समीर।  

राजकुमार

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s